प्रकृती के बंदे...
हम तो है इस प्रकृती के बंदे
नाज है हमे हरवक्त खुदपर
राह मे मिले कांटे या फूल
चलना है हमे हमारे वसुलोपरं.
सोचना नही किसीका भी बुरा
चलना है सदा भलाई की राहपर
ना कर दुश्मनी कभी किसीसे
रखना है हर रिश्ता सँभालकर.
किसीकी भी मुस्कराहट को
मान लेते है अपना सारा जहाँ
मुश्किलोंमे हो कभी कोई तो
पहुँचना है कुछ क्षणों मै वहाँ.
पंचतत्व से बना है शरीर बंदे
पंचतत्व मे ही विलीन होगा
नेकी को मान खुदा अपना
सारे जहाँ मे तेरा नाम होगा.
संदीप राक्षे ✍🏻
भोसरी पुणे २६
हम तो है इस प्रकृती के बंदे
नाज है हमे हरवक्त खुदपर
राह मे मिले कांटे या फूल
चलना है हमे हमारे वसुलोपरं.
सोचना नही किसीका भी बुरा
चलना है सदा भलाई की राहपर
ना कर दुश्मनी कभी किसीसे
रखना है हर रिश्ता सँभालकर.
किसीकी भी मुस्कराहट को
मान लेते है अपना सारा जहाँ
मुश्किलोंमे हो कभी कोई तो
पहुँचना है कुछ क्षणों मै वहाँ.
पंचतत्व से बना है शरीर बंदे
पंचतत्व मे ही विलीन होगा
नेकी को मान खुदा अपना
सारे जहाँ मे तेरा नाम होगा.
संदीप राक्षे ✍🏻
भोसरी पुणे २६
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